हमारी हिंदी कहानी संस्कृति को कभी न भूलें

एक छोटे से गांव में एक लड़का रहता था। उसका नाम राहुल था। राहुल को पढ़ने का बहुत शौक था, पर उसके पास पढ़ने के लिए कोई किताबें नहीं थीं। उसके पिता मजदूरी करते थे, और माँ घर का काम संभालती थीं।

एक दिन, राहुल को पता चला कि पास ही के शहर में एक पुस्तकालय है, जहां पर हिंदी की कहानियों की किताबें मिलती हैं। “हिंदी स्टोरीज़ फॉर रीडिंग” का स्लोगन पुस्तकालय के प्रवेश द्वार पर लिखा हुआ था।

राहुल को पुस्तकालय में जाने का मन हुआ, पर उसके पास साइकिल भी नहीं थी, बारिश का मौसम था। उसने सोचा, “मुझे पैदल ही पुस्तकालय में जाना होगा।”

राहुल को पुस्तकालय में पहुंचने में 2-3 घंटे का समय लगा, पर वह हिम्मत नहीं हारा। पुस्तकालय में पहुंचते ही, उसने हिंदी की कहानियों की सेक्शन में से 2-3 किताबें सेलेक्ट करके, पुस्तकालय के मैनेजर से मंगा।

पुस्तकालय के मैनेजर को हैरत हुई, “तुम्हें हिंदी में पढ़ना पसंद है? सम्प्रति, सम्प्रति, सम्प्रति, सम्प्रति, सम्प्रति, सम्प्रति, सम्प्रति, सम्प्रति, सम्प्रति, सम्प्रति, सम्प्रति,

“हाँ, मुझे हिंदी में पढ़ना पसंद है,”

“पर हिंदी में पढ़ने से क्या फायदा होगा? तुम्हें तो अंग्रेजी में पढ़ना चाहिए, वह तुम्हारे भविष्य के लिए बेहतर होगा।” मैनेजर ने कहा।

“मुझे अंग्रेजी में पढ़ना भी पसंद है, पर मुझे हिंदी में पढ़ना और भी पसंद है। हिंदी मेरी मातृभाषा है, और हिंदी की कहानियाँ मुझे सीख और प्रेरणा देती हैं।” राहुल ने कहा।

“तुम्हारी सोच कितनी सुंदर है! मुझे खुशी हुई कि तुम्हें हिंदी का सम्मान है।” मैनेजर ने कहा।

“तुम्हारे पास पुस्तकालय का मेम्बरशिप कार्ड है?”

“नहीं, मुझे पता नहीं था कि मुझे मेम्बरशिप कार्ड की ज़रूरत होगी।” राहुल ने कहा।

“कोई बात नहीं, मैं तुम्हें मेम्बरशिप कार्ड बनाकर देता हूं। इससे तुम पुस्तकालय से किताबें 2-3 हफ़्ते के लिए लेकर जा सकोगे, और फ़िर ज़मा कर सकोगे।” मैनेजर ने कहा।

“सच? मुझे पुस्तकालय से किताबें 2-3 हफ़्ते के लिए लेकर जा सकता हूं? मुझे पता ही नहीं था! मुझे 2-3 ग़ंटों में ज़मा करनी पड़ती!”

“हाँ, हाँ, 2-3 ग़ंटों में ज़मा करने की ज़रूरत नहीं है, 2-3 हफ़्तों में ज़मा कर सकते हो, पर समय पर ज़मा करना, वरना तुम्हें जुर्माना देना पड़ेगा।” मैनेजर ने कहा।

“ठीक है, मुझे समय पर ज़मा करने की कोशिश करूंगा।” राहुल ने कहा।

“अच्छा, ये लो तुम्हारा मेम्बरशिप कार्ड, और ये हैं तुम्हारी किताबें। अब जल्दी से पढ़ो, और मुझे फ़ीडबैक देना कि किताबें कैसी लगीं।” मैनेजर ने कहा।

“धन्यवाद, मुझे फ़ीडबैक ज़रूर देना होगा।” राहुल ने कहा।

राहुल पुस्तकालय से ख़ुशी से बाहर निकला, और पुस्तकों को सम्भालकर पैदल ही अपने घर की ओर चल पड़ा।

रास्ते में ही, उसने पहली किताब खोलकर पढ़ना शुरू कर दिया। उसकी किताब का नाम था “चालाक लोमड़ी और मूर्ख शेर”. यह एक प्रसिद्ध हिंदी कहानी थी, जिसमें एक लोमड़ी ने एक शेर को चकमा देकर अपनी जान बचाई थी।

राहुल को कहानी पढ़ते-पढ़ते मज़ा आने लगा। उसने सोचा, “यह कहानी मुझे समझाती है कि हमें हमेशा होशियार होना चाहिए, और हमें हमारे सामने के स्थिति को समझना चाहिए।”

राहुल को पहली किताब पढ़ने में 1-2 ग़ंटे का समय लगा, पर वह पुस्तक से हाथ नहीं हटा सका।

“अब मुझे दूसरी किताब पढ़नी है.” राहुल ने कहा।

राहुल ने दूसरी किताब खोली, जिसका नाम था “अकबर-बीरबल की कहानियाँ”. यह एक संग्रह था, जिसमें मुगल सम्राट अकबर और उनके मन्त्री बीरबल के बीच के हास्य-रस से भरे हुए किस्से थे।

राहुल को कहानियों पढ़ते-पढ़ते हंसी आने लगी। उसने सोचा, “यह कहानियाँ मुझे समझाती हैं कि हमें हमेशा बुद्धिमान होना चाहिए, और हमें हमारे आस-पास के लोगों को सम्मान देना चाहिए।”

राहुल को दूसरी किताब पढ़ने में 3-4 ग़ंटे का समय लगा, पर वह पुस्तक से हाथ नहीं हटा सका।

“अब मुझे तीसरी किताब पढ़नी है.” राहुल ने कहा।

राहुल ने तीसरी किताब खोली, जिसका नाम था “पंचतंत्र की कहानियाँ”. यह एक प्राचीन संस्कृत साहित्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था, जिसमें प्राणियों के मध्य के नैतिक और नीतिशास्त्रीय शिक्षाएं दी गई थीं।

राहुल को कहानियों पढ़ते-पढ़ते आश्चर्य हुआ। उसने सोचा, “यह कहानियाँ मुझे समझाती हैं कि हमें हमेशा सत्य, न्याय, मित्रता, सहयोग और करुणा के मूल्यों को अपनाना चाहिए।”

राहुल को तीसरी किताब पढ़ने में 5-6 ग़ंटे का समय लगा, पर वह पुस्तक से हाथ नहीं हटा सका।

“अब मुझे चौथी किताब पढ़नी है.” राहुल ने कहा।

राहुल ने चौथी किताब खोली, जिसका नाम था “मुंशी प्रेमचंद की कहानियाँ”. यह एक महान हिंदी लेखक के द्वारा लिखी गई कहानियों का संकलन था, जिसमें समाज, संस्कृति, राजनीति, प्रेम, दरिद्रता, संघर्ष, आशा और मानवता के विभिन्न पहलू प्रस्तुत किए गए थे।

राहुल को कहानियों पढ़ते-पढ़ते भावुक हुआ। उसने सोचा, “यह कहानियाँ मुझे समझाती हैं कि हमें हमेशा अपने जीवन के लक्ष्य को पूरा करने के लिए प्रयास करना चाहिए, और हमें हमारे समाज के लिए कुछ अच्छा करना चाहिए।”

राहुल को चौथी किताब पढ़ने में 7-8 ग़ंटे का समय लगा, पर वह पुस्तक से हाथ नहीं हटा सका।

“अब मुझे पाँचवी किताब पढ़नी है.” राहुल ने कहा।

राहुल ने पाँचवी किताब खोली, जिसका नाम था “महाभारत”. यह एक विशाल और विश्वप्रसिद्ध हिंदी महाकाव्य था, जिसमें कुरुक्षेत्र के युद्ध में भाग लेने वाले पांडवों और कौरवों के बीच के सम्बन्धों, संघर्षों, शास्त्रों, धर्मों, नीतियों, कर्मों और मोक्ष की बातें की गई थीं।

राहुल को कहानियों पढ़ते-पढ़ते आत्मसात हुआ। उसने सोचा, “यह कहानियाँ मुझे समझाती हैं कि हमें हमेशा धर्म का पालन करना चाहिए, और हमें हमारे कर्तव्यों को निभाना चाहिए।”

राहुल को पाँचवी किताब पढ़ने में 9-10 ग़ंटे का समय लगा, पर वह पुस्तक से हाथ नहीं हटा सका।

“अब मुझे सभी किताबें ज़मा करनी है.” राहुल ने कहा।

राहुल ने सभी किताबें अपने हाथों में पकड़कर, पुस्तकालय की ओर दौड़ा।

“मुझे पुस्तकालय से पहले पहुंचना होगा, मुझे जुर्माना नहीं देना होगा.” राहुल ने कहा।

राहुल को पुस्तकालय में पहुंचने में 2-3 ग़ंटे का समय लगा, पर वह पुस्तकालय के बंद होने से पहले ही पहुंच गया।

“मुझे सभी किताबें ज़मा करनी है.” राहुल ने मैनेजर से कहा।

“तुमने सभी किताबें पढ़ ली? इतनी जल्दी?” मैनेजर ने हैरानी से कहा।

“हाँ, मुझे सभी किताबें पढ़ने में बहुत मज़ा आया। मुझे सभी किताबों की कहानियाँ बहुत पसंद आई।” राहुल ने कहा।

“तुम्हारी बात सुनकर मुझे भी ख़ुशी हुई। तुमने हिंदी की कहानियों को सम्मान दिया, और उनसे सीखा। तुम्हें मेरी तरफ से बहुत-बहुत बधाई।” मैनेजर ने कहा।

“तुम्हें भी धन्यवाद, आपने मुझे पुस्तकालय का मेम्बरशिप कार्ड दिया, और मुझे पुस्तकें 2-3 हफ़्ते के लिए लेकर जाने की अनुमति दी।” राहुल ने कहा।

“कोई बात नहीं, मुझे तुम्हारा साथ देने में ख़ुशी हुई। तुम फिर कब आओगे?” मैनेजर ने कहा।

“मुझे जल्द ही फिर से पुस्तकालय में आना है, मुझे और भी हिंदी की कहानियाँ पढ़नी हैं।” राहुल ने कहा।

“तो फिर मिलते हैं, और हां, अपना मेम्बरशिप कार्ड संभालकर रखना.” मैनेजर ने कहा।

“जी हाँ, मुझे अपना मेम्बरशिप कार्ड संभालकर रखूंगा।” राहुल ने कहा।

राहुल और मैनेजर ने एक-दूसरे को अलविदा कहा, और राहुल पुस्तकालय से ख़ुशी से बाहर निकला।

राहुल को घर पहुंचने में 2-3 ग़ंटे का समय लगा, पर वह पुस्तकों की यादों में खोया हुआ था।

“मुझे हिंदी की कहानियों से बहुत कुछ सीखने को मिला है, मुझे और भी हिंदी की कहानियाँ पढ़नी हैं।” राहुल ने कहा।

राहुल ने अपने माता-पिता को पुस्तकालय के बारे में सब कुछ बताया, और उन्हें अपने मेम्बरशिप कार्ड दिखाया।

राहुल के माता-पिता को उसकी मेहनत और प्रेम से हिंदी की कहानियों को पढ़ने की बात सुनकर बहुत ख़ुशी हुई।

इस कहानी से हमें यह प्रेरणा मिलती है की, हर कोई इंसान को चाहे वो बच्चा हो की जवान के कोई बूढ़ा हो, हर एक को हिंदी कहानिया पढ़नी चाहिए और उसकी सिख अपने जीवनमे उतरनी चाहिए.

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