अध्याय 1: एक अप्रत्याशित चुनौती
एक छोटे से भारतीय गांव में एक प्रतिभाशाली नृत्यांगना निशा एक दिन जागती है और देखती है कि वह अब देख नहीं सकती। वह दुःख की गहराई में चली गई थी लेकिन उसे वह श्लोक याद था जो उसकी माँ अक्सर उद्धृत करती थी:
“विघ्नै विघ्नकर्ता च, विघ्नहर्ता नमोस्तुते।”
अर्थात विघ्नों के विधाता और विनाशक को मैं प्रणाम करता हूँ।
अध्याय 2: अनदेखी दुनिया
निशा अपनी नई सच्चाई से जूझ रही थी। डांस करते समय उन्हें जो खुशी महसूस हुई, वह उन्हें याद आ गई। उसकी माँ ने उसे सांत्वना दी, “निशा, जीवन ने तुम्हें एक बाधा दी होगी, लेकिन याद रखना, बाधाएँ अक्सर खूबसूरत मंजिलों तक ले जाती हैं।”
अध्याय 3: आशा की किरण
एक दिन निशा ने बांसुरी की मधुर ध्वनि सुनी। इससे आकर्षित होकर, उसने खुद को लय में झूलते हुए पाया। तब उसे एहसास हुआ कि वह अभी भी संगीत को महसूस कर सकती है। इसने उसे नई आशा और दृढ़ संकल्प से भर दिया।
अध्याय 4: नृत्य का मार्ग
निशा ने संगीत को अपने मार्गदर्शक के रूप में उपयोग करते हुए फिर से नृत्य करने का फैसला किया। उसके परिवार और दोस्त आशंकित थे, लेकिन वह दृढ़ थी। उसने कहा, “मैं देख नहीं सकती, लेकिन मैं संगीत को महसूस कर सकती हूँ। यह मेरा मार्गदर्शन करेगा।”
अध्याय 5: पहला कदम
निशा ने फिर से अभ्यास शुरू किया। हर गिरावट, हर गलत कदम एक बाधा थी, लेकिन उसने प्रत्येक को सीखने और सुधारने के अवसर के रूप में देखा। उन्होंने हेलेन केलर के उद्धरण को मूर्त रूप दिया, “अंधे होने से भी बुरी चीज है आँखे तो है पर दृष्टि नहीं।”
अध्याय 6: अनदेखी प्रदर्शन
निशा के दृढ़ निश्चय की बात गाँव में फैल गई, और उन्होंने एक प्रदर्शन की मेजबानी करने का फैसला किया। निशा घबराई हुई थी लेकिन श्लोक याद आ गया। जब वह बांसुरी की ताल पर नाच रही थी, तो उसकी चाल तरल और सुंदर थी। दर्शकों का मन मोह लिया।
अध्याय 7: खड़े होकर अभिनंदन
संगीत बंद होते ही सन्नाटा छा गया। तभी तालियों की गड़गड़ाहट गूँज उठी। निशा तालियों की गड़गड़ाहट नहीं देख सकती थी, लेकिन वह प्यार और प्रशंसा महसूस कर सकती थी। उसने अपनी बाधा को एक अवसर में बदल दिया था, अपनी भावना और संकल्प के उत्सव में।
अध्याय 8: निशा की विजय
निशा की कहानी उसके गांव के बाहर भी फैली, जिसने बहुतों को प्रेरित किया। उन्होंने साबित कर दिया था कि बाधाएं अवसरों में बदल सकती हैं और सीमाओं को अवसरों में बदला जा सकता है। उनकी यात्रा दृढ़ संकल्प की शक्ति, कला की सुंदरता और मानवीय भावना की ताकत का एक वसीयतनामा थी।